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मैं क्यूँ खुद से उसे पुकारूँ कि लौट आओ !! क्या उसे ख़बर नहीं मेरा ❤ दिल नहीं लगता उसके बिना।। हज़ारो अश्क मेरी आँखो की हिरासत मे थे तेरी याद आई और इनको जमानत मिल गई
खुद को खोने का पता नही चला किसी को पाने की ऐसी इन्तहा कर दी मैंने कुछ जख्म इन्सान के कभी नही भरते, बस इन्सान इनको छुपाने का सलीका ढूंढ लेता है।
जब उसने दर्द दिया तो याद आया मेने ही तो दुआओ में उसके सारे दर्द मांगे थे..! इंतजार ,इज़हार,इबादत सब तो किया मैंने और कैसे बताऊं की प्यार की गहराई क्या है... दुनिया में कांटे ज्यादा हैं या हम ही खुद नाजुक हैं..!! इक छोटी सी तल्खी हमको दिनभर चुभती रहती है..!!